E- Commerce business

e-Commerce Business | e – कामर्स व्यापार |

 E- Commerce बिज़्नेस क्या है , इसके क्या लाभ है?

 

आज के युग में अधिकांश लोग, चाहे वे शहरी क्षेत्रों के हों या ग्रामीण क्षेत्रों के, ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं। सामान्यतः, जब हम किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कुछ खरीदते या बेचते हैं, तो हम उसे ही ई-कॉमर्स समझते हैं। हालांकि, ई-कॉमर्स इससे बहुत अधिक है और यह ई-कॉमर्स का केवल एक हिस्सा  है।

जब हम इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन सामान खरीदते या बेचते हैं, तो उसे ही ई-कॉमर्स कहा जाता है। किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर व्यापारी अपने प्रोडक्ट की सारी डिटेल डाल देता है। उस डिटेल के आधार पर लोग ऑनलाइन ही इस सामान को खरीद लेते हैं। इसमें व्यापारी और कंस्यूमर कभी भी आमने सामने नहीं आते।

आजकल भारत में ई-कॉमर्स का बहुत बड़ा उद्योग है। इसका कारण है कि अब हर किसी के पास मोबाइल और सस्ते डाटा प्लान होते हैं, जिसके चलते लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं।

e- कामर्स बिज़्नेस कितने प्रकार के होते है 

1. बिज़्नेस टू बिज़्नेस ( B2B)

किसी भी व्यवसाय में रॉ मटेरियल की आवश्यकता होती है। जब एक व्यवसाय ई-कॉमर्स का उपयोग करके दूसरे व्यवसाय को सामान बेचता है, तो उसे व्यवसाय से व्यवसाय (B2B) ई-कॉमर्स कहा जाता है। ई-कॉमर्स के इस प्रकार में एक कंपनी अपने उत्पाद या सेवाएं किसी दूसरी कंपनी को प्रदान करती है। इसमें कंपनियां या तो अपनी व्यक्तिगत वेबसाइट का उपयोग करती हैं या फिर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करती हैं।

बिज़्नेस टू कन्सूमर (B2C)

आजकल ई-कॉमर्स का यह प्रकार सबसे जहाँ ज्यादा प्रचलित है और सामान्यत: इसे ही ई-कॉमर्स कहा जाता है। जब कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट या सेवाएं ऑनलाइन बेचती है, तो इसे बिजनेस टू कंज्यूमर (B2C) ई-कॉमर्स कहा जाता है। 

आजकल हर इंसान के पास मोबाइल और इंटरनेट होने की वजह से लोग अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की डिटेल डाल देती हैं। उस डिटेल को देखकर लोग सामान खरीद लेते हैं, इसे ही बिज़नेस टू कंज्यूमर (B2C) ई-कॉमर्स कहते हैं।

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Consumer to Consumer  (C2C)

ई-कॉमर्स में व्यापार आम तौर पर एक व्यापार को या व्यापार अपने ग्राहकों को उत्पाद बेचता है। जब ग्राहक आपस में ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से उत्पाद या सेवाओं का लेन-देन करते हैं, तो उसे ग्राहक से ग्राहक ई-कॉमर्स कहा जाता है।

कुछ प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइट्स में OLX, eBay, आदि शामिल हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर खरीदने और बेचने वाले दोनों ही आम लोग होते हैं, न कि कोई व्यापार।

Consumer to Business 

सी2बी (C2B) एक ऐसा व्यापारिक मॉडल है जहां ई-कॉमर्स कंपनियाँ उन उत्पादों और सेवाओं को खरीदती हैं जो उनके ग्राहकों द्वारा बेचे जाते हैं। इसका मतलब है कि ग्राहक अपने उत्पादों और सेवाओं को ई-कॉमर्स कंपनियों को बेच सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति ग्राफ़िक डिज़ाइनर या कंटेंट राइटर है, तो वह अपनी सेवाओं को फ्रीलांसिंग के माध्यम से ई-कॉमर्स कंपनियों को बेच सकता है।

बिज़्नेस टू अड्मिनिस्ट्रेशन  (B2A)

सरकारी संस्थाएं विभिन्न कंपनियों पर निर्भर करती हैं, जैसे किसी सरकारी संस्था की वेबसाइट्स बनवाना, कोई ऐप तैयार करवाना आदि। इन संस्थाओं द्वारा टेंडर निकाले जाते हैं और इन टेंडर्स के आधार पर कंपनियां बोली लगाती हैं। जिस कंपनी की बोली सबसे ज्यादा होती है, सम्बंधित काम करने की जिम्मेदारी उस संस्था की होती है, इस प्रक्रिया को ही बिज़नेस टू एडमिनिस्ट्रेशन ई-कॉमर्स कहा जाता है।

  • कंज्यूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन (C2A)

जब आम जनता इंटरनेट का इस्तेमाल करके सरकारी संस्थाओं से जुड़ती है, तो उसे कंज्यूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन ई-कॉमर्स कहा जाता है। आज के समय में सरकारी संस्थाओं में पारदर्शिता लाने के लिए और आमजन को सुविधा देने के लिए सरकारी संस्थाओं की कई गतिविधियां जैसे – आयकर रिटर्न भरना, बिजली बिल, टेलीफोन बिल का भुगतान करना जैसी और भी कई गतिविधियां ऑनलाइन हो गयी हैं।

ये सभी ई-कॉमर्स के प्रमुख प्रकार हैं। आज जितनी भी ई-कॉमर्स की गतिविधियां हो रही हैं, वे सभी इन्हीं में से किसी एक के अंतर्गत आती हैं।

आशा करते है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा और आपको e-कामर्स से सम्बंधित जानकारी मिल गई होगी, comments करके ज़रूर बताएँ ।

 

 

 

 

E-commerce business [FAQ]

  • Ans. एक प्रोडक्ट/nishe (topic) चुनें
  • एक वेबसाइट/स्टोर बनाएं (जैसे Shopify, WooCommerce)
  •  payment gateway setup करें
  • डिजिटल मार्केटिंग से ग्राहक लाएं
  • Order Fulfillment और Customer Service संभालें

 

Ans. हाँ, आप Meesho, Amazon Seller, Flipkart Seller, और WhatsApp/Facebook पर भी बिना वेबसाइट के सामान बेच सकते हैं।

बिल्कुल! आप घर से ही प्रोडक्ट्स की packaging, delivery और management कर सकते हैं। Low investment और low space वाले लोगों के लिए यह अच्छा विकल्प है।

 

Ans. हाँ, अगर आप e-commerce platforms (जैसे Amazon, Flipkart) पर बेचते हैं तो GST नंबर अनिवार्य है, भले ही आपकी इनकम लिमिट से कम हो।

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